Saturday, July 30, 2011

मत कर मोह तु, हरिभजन को मान रे.



मत कर मोह तु, हरिभजन को मान रे.

नयन दिये दरशन करने को,
श्रवण दिये सुन ज्ञान रे ... मत कर

वदन दिया हरिगुण गाने को,
हाथ दिये कर दान रे ... मत कर

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
कंचन निपजत खान रे ... मत कर
कल माँ देवसोमा अपने गाने के क्लास में यह भजन गा रही थी ,
इतना मीठा भजन ,इतने मीठे सुरों में की मेरा रोम रोम भीज गया मधुरं से ,
आँखों की गंगा., शिव (परम ब्रह्म ) का स्पर्श पाते ही बह चली ...
मत कर मोह तू ,हरी भजन को मान रे
नयन दिए दरसन करने को
.
प्रभु ने यह आंखे केवल दुनिया देखने
को ,या लोगो में खोट देखने को नहीं दी हैं
बल्कि इन नयनो में इतनी अपरं शक्ति दी हैं कि तुम प्रभु के दरसन कर सको
सब के चित में तुम राम के दरसन करो

श्रवण दिये सुन ज्ञान रे .
श्रवण दिये सुन ज्ञान रे- कण दिए की ज्ञान की बातें सुनो ,
ज्ञान की बातें का अर्थ यह नहीं की घर में बैठ कर सारा दिन प्रवचन सुनो .
अर्थ हैं की जो भी तुम सारा दिन दुनिया में सुनते हो , देखते हो
उस से भीतर ज्ञान का दीपक जलाओ
जैसे मधुमखी फूलो पर बैठ कर फूल इकठा नहीं करती बल्कि उसका रस पि लेती हैं .
तुम भी दुनिया में रह कर ज्ञान रुपी रस पि लो .
वदन दिया हरिगुण गाने को,
...
यह शरीर दिए हरी गुण गाने को ,हरी गुण का अर्थ ,
सारा दिन केवल भक्ति संगीत गायो नहीं ,बल्कि जो गहरी चिंतन से ज्ञान तुम में उतर गया हैं ,
जो विस्दोम तुम्हारे समझ में उतर रही हैं, उसे ही बाटो रोज़मर्रा के जीवन में ,
तुम्हारे भीतर की गहरी समझ ही
तुम्हारे हर कार्य में छलके, प्रतिबिंबित हो
.हाथ दिये कर दान रे- हाथो से दान करो . अपने हाथो से कोई नकारात्मक कम मत करो .जिन हाथो को जोड़ कर तुम प्रभु का भजन करते हो ,
उन्ही हाथो से प्रेम का दान करो ...........

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
कंचन निपजत खान रे ... मत कर -
कबीर दास कहते हैं की सोना खदान से निकलता हैं .शरीर भी खदान हैं इस में से तुम हरि रुपी सोना को पा लो .
इस शरीर में तुम उस अंतर सूर्य के दर्शन कर लो
.रोम रोम तुम्हारा परमात्मा की रौशनी से जगमगा जाये
मत कर मोह तु, हरिभजन को मान रे.- मत करो मोह ,इस शरीर से इस स्वप्न रुपी दुनिया से मोह मत करो ,
शरीर जाने से पहले .............इस शरीर में परमब्रह्म के दर्शन कर लो
इस शरीर से दुनिया को जीते हुए ईश्वर का अनुभव ले लो .
अपनी इंद्रियों को सद्गुरु में ,परमात्मा में लीन कर दो
प्रिये बंधू अपने ह्रदय पर हाथ रख कभी एकांत में विचार करना की परमपिता के इन भेटो का उपयोग तुमने अपने जीवन में कैसे कर रहे हो ?


ma anita





Wednesday, July 27, 2011

पिहू पुकारे पिया को

एक खोजी के ह्रदय की पुकार वैसी ही होती हैं ,
जैसे प्यासी धरती की प्यास ।
जब यह दोनों पुकारते हैं तो आसमान झूम झूम कर बरसने लगता हैं ।
जिस तरह प्यासी धरती बारि की हर बूंद को भीतर समां लेती हैं,
और पानी उसके गर्भ में जा कर (core में ) जमा हो जाता हैं .
उसका सतह फिर पहले जैसा हो जाता हैं ।
उसी तरह एक प्रेमी पर जब ज्ञा की(wisdom) की बारिश होती हैं तो वह उससे रोम रोम से पी लेता हैं ।
उसके शरीर पर कोई बदलाव नहीं होता पर ज्ञान भीतर उसके core में जमा हो जाता हैं ....................................
एक प्रेमी जब परमपिता या सद्गुरु से जब कोई सवाल पूछता हैं तो वह खुद को सद्गुरु की तरफ ,निर्विकार की तरफ खोल देता हैं । एक फूल की भाती अपना रोम रोम ,पंखुड़ी पंखुड़ी प्रभु की तरफ खोल देता हैं .उसका प्रश्न केवल एक प्रश्न नहीं होता उसके आत्मा की पुकार होती हैं ,खुद को जानने की ......
यह पुकार जब सद्गुरु को छु कर लौटती हैं तोवाब के रूप में ,फूलो के रूप में प्रेमी प बरसती हैं ।
और प्रेमी इससे अपने भीतर समां लेता हैं ,मिट जाता हैं .अमृत अमृत हो जाता हैं । इस मोती को भीतर समेत कर फिर से नाचने लगता हैं ।
हरी ॐ तत सत

हम पंछी उन्मुक्त गगन के


आज सुबह जब ५ बजे मै बगीचे में गई तो ,
नज़ारा बड़ा ही अदभूत था .ठंडी हवायो के धुन पर
पेड़ो के पत्ते झूम रहे थे ,चिडियों के गुंजन से वातावरण सुरमय था .
ठंडी हवा जब मुझे छु रही थी तो ,
ऐसा लग रहा था जैसे में भी एक पत्ता हु जो हवा के मधुर स्पर्श से ही झूमने लगा था .
आसमान सूर्य देवता के आने का सन्देश देने लगा था .
अदभूत ,अनोखा,आह्लादित करने वाला समां था .
यह नज़ारा मै हर रोज़ सुबह देखती हु ,कभी चिड़िया बन कर ,कभी पत्ता बन कर ,कभी शरारती हवा बन हर ,
और कभी इन का रचनाकार बन कर ,खुद ही नाचने लगती हु .
मन से एक कदम आगे बढ़ कर इन को देखो ,हर कुछ रूमानियत से भरा दीखेगा .
जैसे हर एक के भीतर प्रेम रस छलक रहा हो ,सब जैसे उस परम प्रेम रस से भरे नाच रहे हो .उसे परम पिता के भीगे धुन में सब डूबे हो .
मन का बंधन तोड़ कर देखो .मन का मटका फोड़ कर देखो
समझ का आयाम केवल ज्ञान की बातों को ही पढने से ,ध्यान करने से नहीं खुलता ,
बल्कि अपने आस पास के माहौल प्रति जागरूक होने से भी खुलता हैं .
तुम रोज़ ही मन की खिड़की बंद कर उस में रहते हो .
सुबह सुबह जब उठो तो घर की खिड़की ही नहीं मन की भी खिड़की खोल दो
उड़ जाओ अंतस के मुक्त आकाश में .मन से एक कदम आगे बढ़ कर देखो ...............................................
देखो हर तरफ प्रेम ही प्रेम हैं ..............
प्रेम का ही सागर हैं .

Friday, July 22, 2011

The Flute Maker



There was a young flute maker a devotee of Lord Krishna .
Every day he went into the jungle of bamboo to find the appropriate bamboo to make flute . It took him hours and hours to find the right bamboo from which the sweetness of music could flow . He brought few bamboos home to make flute .
He took the first bamboo tree and started to chop for his work . After few strokes ,a cry came out of bamboo tree "O dear flute maker stop it .I cant take this pain any more ".The flute maker was surprised but said "but I am carving u to sing for my Lord krishna ." The bamboo pleaded and pleaded to stop carving .The flute maker kept the bamboo aside and took the second bamboo piece to carve in perfect flute .
He chopped ,he peeled ,he cut .The outer layer was ready now it was time to carve the softer part .
The knife touched the soft sensitive layer with was in the inner side of bamboo .A cried appeared ,
"STOP STOP i cant bear any more " .The flute maker tried his level best to make him understand that he was almost READY . You are on the finishing line ,just few more peeling and you will be ready to sing the song for my Lord.But the plea of bamboo to leave grew stronger .The flute maker was sad ,he knew that this piece of bamboo could have turned in beautiful flute. With sad heart he kept the piece aside.
He took the last piece and started to chop .He chopped and chopped but no cry was there .
He started peeling and peeling and asked the bamboo "dear are you in pain ?'
The bamboo smiled and said, yes sir I am but I am happy that you have chosen me for the service of Lord .
Tears came out of the flute maker and he kissed the bamboo .He peeled him carved him and made him perfect flute . Next day in the presence of the whole city he played his most devotional song from his flute ...there was total silence ,people were enchanted by the sweetest melody of the flute .

WHICH TYPE OF BAMBOO ARE YOU ?

love
Ma Anita

Thursday, July 21, 2011

IN THE PROCESS OF HOLLOW BAMBOO



You are a GLASS .The glass is full of garbage . HOW will the garbage glass become transparent and pure full of AMRIT (BLISS)
FEW STEPS WHICH WILL HELP THE GLASS TO BECOME PURE AND FULL OF BLISS


DHYAN( MEDITATION) here I am referring dhyan as a physical activity that will light your body and will make it a good device on which the cosmic energy will work .
There are many types of MEDITATION that will tune your body with cosmos ,
Like- 1)DYANAMIC MEDITATION
2)KUNDALINI
3)NADBRAHM
4)NATRAJ
5)NO DIMENSION
ETC...........

MANAN- MANAN is thinking and digging your mind, exploring within on what you have read or experienced in your meditation .SADGURUS have poured their experiences and wisdom as parvachan or discourse .Listen to discourses attentively .Surrender your ear to the SADGURU .
When its over, think on the topics deeply ,dig yourself with the points that have hit you.They are the POINTERS that will become your tool of digging within.
Dont just listen and believe .The very basic step sadguru teaches is STOP BELIEF SYSTEM so dont believe INQUIRE INQUIRE INQUIRE WITHIN .....find out what you have heard or listen is true or not ,check your mind .How it works ,how it acts and reacts .
Become AWARE of your thought system and emotional reactions .This MANAN -DIGGING PROCESS WILL SLOWLY MAKE YOU AWARE OF THINGS HAPPENING WITHIN AND WITHOUT.

SADHANA-CONTINUOUS and REGULAR PRACTICE OF MEDITATION-continuous and regular practice of meditation and manan will sharpen your mind and body .Making you light and receptive towards COSMIC FLOW .....
It will work as CATALYST .It will ignite you within and will burn the layers ignorance and walls of concept and beliefs starts falling apart .

DROPS of WISDOM WILL start falling IN .Drop by drop making you aware and light
DISSOLVING and DISAPPEARING.............YOU in cosmic consciousness .Carving you as HOLLOW BAMBOO

FLUTE OF SUPER CONSCIOUSNESS
BRAHMNAD

Wednesday, July 13, 2011

उठ.जा.मुसाफिर.भोर.भई.अब.रैन.कहा.जो.सोवत.हैं.


कितनी.अजीब.बात..हैं.जब.तुम.निंद्रा.में.होते.तो
.तुम्हारी.आंखे.बंद.होते.हुए.भी.खुली.होती.हैं..
तुम.नीद.में.भी.देखते..रहते.हो...स्वप्न.में.होते.हो........
और.जब.तुम.जागृत.अवस्था.में.होते.हो.....तुम्हारी.आंखे.खुली.रहती.हैं.
.,फिर.भी.तुम्हारी.आंखे.बंद.रहती.हैं.और.तुम.सोये.रहते.हो.
स्वप्न.में.होते.हो...
अरे.कुभ्करण.भी.६.महीने.ही.सोता.था.
तुम.तो.पुरी.ज़िन्दगी..सोये.रह.जाते.हो.
कभी.तो.जागो...अभी.तो.जागो.

Sunday, July 10, 2011

प्यास.गहरी.हो.तो.परमात्मा.भी.बसरने.लगता.हैं


.एक.भूखे.बच्चे.के.माँ.के.स्तन.से.मुह..लगते.ही.
दूध.गिरने.लगता.हैं......
उसी.तरह.एक.प्यासे.भक्त.की.सच्ची..पुकार.से.
परमब्रह्म..से...प्रेम.की.गंगा.आशीर्वाद..के.रूप.में.गिरने.लगती.हैं.
माँ.अनीता.

Saturday, July 9, 2011

wht.ever.im.doing.is.acting

once.you.KNOW.who.you.are......
Once.you.know.about.your.TRUE.NATURE......you.become.playfull
you.play.the.part.given.to.you.for.this.span.of.life..........

you.become.a.very.good.actor.....

earlier.bhav.used.to.play.with.you.
after.knowing.u.become.least. concerned.abt..notions.and.concepts.and.start.playing.with.bhavs..(feelings)....willings.joyfully

Monday, July 4, 2011

BLISS..OF.TAGORE

On the seashore of endless worlds children meet. The infinite sky is motionless overhead and the restless water is boisterous. On the seashore of endless worlds the children meet with shouts and dances.

They build their houses with sand and they play with empty shells. With withered leaves they weave their boats and smilingly float them on the vast deep. Children have their play on the seashore of worlds.

They know not how to swim, they know not how to cast nets. Pearl fishers dive for pearls, merchants sail in their ships, while children gather pebbles and scatter them again. they seek not for hidden treasures, they know not how to cast nets.

The sea surges up with laughter and pale gleams the smile of the sea beach. Death-dealing waves sing meaningless ballads to the children, even like a mother while rocking her baby's cradle. The sea plays with children, and pale gleams the smile of the sea beach.

On the seashore of endless worlds children meet. Tempest roams in the patess sky, ships get wrecked in the trackless water, death is abroad and children play. On the seashore of endless worlds is the great meeting of children.

Sunday, July 3, 2011

SPREM.NIMANTRAN

PREM.KE.BAHTE.SAGAR.MEI.AAYOO.JARA.NAHAYE.
..HAATH.PAKAD.KAR.JHOOME.SANG.SANG.
..HIRDAY.MEI.PREM.DEEPAK.JALAYE

OSHO.QUOTES-
Enlightenment is the understanding that this is all, that this is perfect, that this is it. Enlightenment is not an achievement, it is an understanding that there is nothing to achieve, nowhere to go.

Yes, when you see for the first time, a great laughter arises in you - the laughter about the whole ridiculousness of your misery, the laughter about the whole foolishness of your problems, the laughter about the whole absurdity of your suffering.

OSHO.DHYAN.UTSAV


Osho Dhyan Utsav.
RANCHI

Celebrating.with.Ma.YogNeelam
Osho way of living and Lifestyle of
meditation and celebration,
creativity and sharing
and of Love and Compassion.
Coming 11th Dec is Osho's 80th Birthday.
Lets give a befitting birthday present to our Beloved Master
By.surrendering.in.his.LOTUS.FEET
and sharing his vision far and wide.
a.time.of.total.celebration

OPENING-13.OCTOBER.2011,6PM
DATES-14,15,16.OCTOBERPLACE-SHAHDEO.HOUSE,Beside.Krishi.Bhawan,Kanke.road.
P&t-.0651-2233307

Ranchi
Jharkhand-834005

Organizer-Ma.Anita&.Sw.Abhay.Bharti
Contact-Ma.Anita--p&t-0651-2233455,mb-08969162341
Sw.abhay.bharti—09234609780

Sw.Anand.utsav..(bokaro)-09304101775
Sw.Bodhi.Akeeb.(chandrapura)-09934384349
Shivir.charges-.Rs-1100.per.person