Friday, May 23, 2008

में का से कहू बतिया


ख़ुद के ही प्रेम में देखो लीन हुई मीरा ,

ख़ुद से ही देखो कैसा रास रचाया ,

उसकी ही थी बासुरी उसके ही थे सुर ,

ख़ुद को ही थिरकते हुए पा रही थी मीरा

ख़ुद से कैसा रास रचाया

नाच रही थी मीरा ॥

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