SPIRITUAL BLISS COMES FROM THE ULTIMATE FLOWERING OF A EXISTENTIAL BEINGNESS INTO SUPREME TRUTH . IT IS A SHARING OF EXPERIENCES BEYOND QUANTUM LEAP .
Thursday, June 28, 2012
Monday, June 25, 2012
Monday, June 18, 2012
परम ब्रह्म देवाय नमः
वह कौन हैं जो मेरे ह्रदय आकाश में बसा हैं।...
वह कौन हैं जिसके एक एहसास से मेरा रोम रोम बेबस हो उठता हैं ....
पिघलने लगता हैं .....
वह कौन हैं जो ह्रदय आकाश में होते हुए भी ब्रह्म आकाश से मुझे बुलाता हैं .....
मेरा मन दौड़ कर उससे आलिंगन बध हो जाता हैं ........
फिर मै खुद को उसके सामने पाती हु ....यह प्राथना करती हुई की प्रभु तुम मुझे अपना बना लो ......
वह दिव्या ज्योतिर्मय प्रकाश जो पूरे ब्रह्म्हंड में फैला हैं ....धीरे धीरे मेरे ह्रदय में समां जाता हैं .......
सत गुरु तुमको प्रणाम
_()_
वह कौन हैं जिसके एक एहसास से मेरा रोम रोम बेबस हो उठता हैं ....
पिघलने लगता हैं .....
वह कौन हैं जो ह्रदय आकाश में होते हुए भी ब्रह्म आकाश से मुझे बुलाता हैं .....
मेरा मन दौड़ कर उससे आलिंगन बध हो जाता हैं ........
फिर मै खुद को उसके सामने पाती हु ....यह प्राथना करती हुई की प्रभु तुम मुझे अपना बना लो ......
वह दिव्या ज्योतिर्मय प्रकाश जो पूरे ब्रह्म्हंड में फैला हैं ....धीरे धीरे मेरे ह्रदय में समां जाता हैं .......
सत गुरु तुमको प्रणाम
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Saturday, June 2, 2012
Friday, June 1, 2012
_()_ हरी ॐ
मै अनीता हु .जब होश संभाला तो होश ही नहीं था . जीवन की घटनायो ने मुझे दुनिया को समझने से पहले परमात्मा को समझने और ढूढ़ ने की राह दी .नत मस्तक हु ऐसे परमपिता के सामने जिसने इतनी बड़ी कृपा मुझ पर की . हर पल में ,हर सांस में एक धुनी जलती थी ..की प्रभु मुझे तुम थाम लो ..मेरी मदद करो .
सौभाग्य से सतगुरु ओशो मिले . जिन्होंने सदियों से बंद मेरे भीतर के दरवाज़े को खोल दिया .एक अँधेरे कुवे से रौशनी की अनंत सागर में मुझे डुबो दिया .
मै एक माटी की मूरत थी , जिसे पता भी नहीं था की उसके भीतर कोई लौ जल रही हैं .
आज भी मै एक साधरण इन्सान हु ..जो जीवन को अति साधारण आँखों से देख रही हैं जी रही हैं ...
अब यह पता लग चूका हैं की मै एक अनंत सागर हु ..और उस से निकल कर जीवन के घाट तक बहने वाली लहर भी .....
अब जीवन से कोई बैर नहीं ..कोई मित्रता भी नहीं ....बस साथ साथ चल रही हु
सतगुरु से प्राथना करती हु की जीवन से आती हुई हर सीख को अपने भीतर ले अपने आत्मा को और आलोकित कर सकू .
सत गुरु तुमको प्रणाम
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