Thursday, June 28, 2012

ESHWAR SATYA HAIN ..SATYA HI SHIV HAIN ..SHIV HI SUNDER HAIN

SHIVA WITNESSING SHIVA .........

YOU ARE INVITED IN RAIN DANCE

WHY ARE YOU HOLDING THE UMBRELLA OF YOUR  IDENTITY AND PREVENTING YOUR SELF FROM BEING   DRENCHED IN THE RAIN OF SUPREME BLISS .
THROW AWAY THE UMBRELLA OF ALL SECURITY ..FREE YOURSELF AND DANCE IN RAIN OF BLISS ...
JOIN ME IN RAIN DANCE 

NIRAKAR BRAHMA

Nirakar brahma is a state of Supreme bliss ..where bliss doesn't stand for any emotion .It just reflects as deep peace and soothingness  . The Ultimate Truth ..Where no need is felt ,no action or reactions takes place . 

Wednesday, June 27, 2012

visited ajmer shariff  dargah 
nawajis hain USKI karam hain uska ki meri sanse uski khusboo se rausan hain 
amen

Monday, June 25, 2012

TRING TRING ..HELLO GOD I am fine

The call from GOD is instantly  received in heart .
Talking to GOD ....

Monday, June 18, 2012

परम ब्रह्म देवाय नमः

वह कौन हैं जो मेरे ह्रदय आकाश में बसा हैं।...
वह  कौन हैं  जिसके एक एहसास से मेरा रोम रोम बेबस  हो उठता हैं ....
पिघलने  लगता हैं .....
वह कौन हैं जो ह्रदय आकाश में होते हुए भी ब्रह्म आकाश से मुझे बुलाता हैं .....
मेरा मन दौड़ कर उससे  आलिंगन  बध हो जाता हैं ........
फिर मै  खुद को उसके सामने पाती हु ....यह प्राथना  करती हुई की प्रभु तुम मुझे अपना बना लो ......
वह दिव्या ज्योतिर्मय प्रकाश  जो पूरे ब्रह्म्हंड  में फैला हैं ....धीरे धीरे मेरे  ह्रदय में समां जाता हैं .......

सत गुरु तुमको प्रणाम
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Friday, June 1, 2012

_()_ हरी ॐ

मै  अनीता हु .जब होश संभाला तो होश ही नहीं था . जीवन की घटनायो ने मुझे दुनिया को समझने से पहले परमात्मा को समझने और ढूढ़ ने की राह दी .नत मस्तक हु ऐसे परमपिता के सामने जिसने इतनी बड़ी कृपा मुझ पर की . हर पल में ,हर सांस में एक धुनी जलती थी ..की प्रभु मुझे तुम थाम लो ..मेरी मदद करो .
सौभाग्य  से सतगुरु ओशो मिले . जिन्होंने सदियों से बंद मेरे भीतर  के दरवाज़े को खोल दिया .एक अँधेरे कुवे  से रौशनी की अनंत सागर में मुझे डुबो दिया .
 मै एक माटी की मूरत थी , जिसे पता भी नहीं था की उसके भीतर कोई लौ जल रही हैं .
आज भी मै एक साधरण इन्सान हु ..जो जीवन को अति साधारण आँखों से देख रही हैं जी रही हैं ...
अब यह पता लग चूका हैं की मै एक अनंत सागर हु ..और उस से निकल कर जीवन के घाट तक बहने वाली लहर भी .....
अब जीवन से कोई बैर नहीं ..कोई मित्रता भी नहीं ....बस साथ साथ चल रही हु 
सतगुरु से प्राथना करती हु की जीवन से आती हुई हर सीख को अपने भीतर ले अपने आत्मा को और आलोकित कर सकू .
सत गुरु तुमको प्रणाम 
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