Lust is the greatest fall for any human being .Once you start falling in it ..it will take you deeper and deeper into it . Creating an ILLUSION OF hidden happiness . Once you are in the grip of lust you are its slave .The lust of seeking more happiness ,takes you in the darkest well of more desires .Each desire creates an illusionary dream world of pleasure .You are now in bondage . The grip of lust is too strong .several times you go in sex feeling that this time I will get great pleasure . You buy new clothes thinking this time I will look very beautiful .You create more and more money in lust of more happiness . Beware and watch within Is THE LUST really giving you happiness? Every time you fall in its grip for more happiness and you come back with more pain , grievances,anger and disappointment .Many years of life has been spent in this vivacious circle of lust ,still people are hankering for it. The more and more you beg for happiness the more and more you fall in pain and disappointment. Bondage cannot give you real happiness . You are slave of your desires .you are in bondage of lust .Happiness comes from freedom .Freedom from all types of lust .when you are free . You can play with any lust making it your servant and not being its slave .Fly high in sky ,sail soothingly .Now there is no string attached to pull you down .Now you are king ._()_ hariom
SPIRITUAL BLISS COMES FROM THE ULTIMATE FLOWERING OF A EXISTENTIAL BEINGNESS INTO SUPREME TRUTH . IT IS A SHARING OF EXPERIENCES BEYOND QUANTUM LEAP .
Friday, August 31, 2012
Thursday, August 30, 2012
Monday, August 20, 2012
प्रेम सौगात
भव सागर से पार ले जावे मल्लाह बने भगवान.
सुमिरन से सुख आत हैं सुमिरन से दुःख जात ,
पल में निर्मल होए हैं ,जब बरसे प्रेम सौगात .
बाबरी बनी मै इतराऊ ,जो लगी परम घाट
सुमिरन से सुख आत हैं सुमिरन से दुःख जात
निर्मल तन मन होए हैं जब बरसे प्रेम सौगात
लोग कहे मै बाबरी मेरी आखन गयो बिलाए ,
मन की आखन जो देखू तोहे पिया अब मोरे कोई आखन का चाए
- अनीता
लोग कहे मै बाबरी मेरी आखन गयो बिलाए ,
मन की आखन जो देखू तोहे पिया अब मोरे कोई आखन का चाए
सुमिरन से सुख आत हैं सुमिरन से दुःख जात
लोग कहे मै बाबरी मेरो पैरन गयो बिलाए ,
जो चरण पड़ी मै तोहे प्रभु अब मोरे आपन पैर न भाए
लोग कहे मै बाबरी मोरे रूप गयो बिलाए .
तेरो रूप जो मै भई प्रभु अब मोहे आपण रूप सहो न जाये
लोग कहे मै बाबरी मोरे रूप गयो बिलाए .
तेरो रूप जो मै भई प्रभु अब मोहे आपण रूप सहो न जाये
सुमिरन से सब दुःख कटे ,सुमिरन पार लगाये
हिरदय सागर में डूब कये मोरे छवि गयो बिलाए.
सुमिरन सुमिरन सुमिरन कर सुमिरन पार लगाये
कहे कुम्हार अब माटी से तुने क़र्ज़ दियो उतराए मैंने तुझको था गढ़ा
कहे कुम्हार अब माटी से तुने क़र्ज़ दियो उतराए मैंने तुझको था गढ़ा
तुने खुद में मेरो छवि बनाये
- अनीता
Friday, August 17, 2012
मन का झुला
मन क्या हैं ? मन वह उपकरण हैं जिस में ब्रह्म्हांड से भावो का प्रवेश होता हैं .मन में जब किसी भाव का प्रवेश होता हैं तो वह मन के साथ साथ चित ,बुद्धि ,मानस और अहम् कार को भी प्रभावित करता हैं .जो उसके प्रभाव से अनछुवा रहता हैं वह हैं चेतना .चेतना का रूप अनंत हैं वह निर्विकार हैं .चेतना यानि परमचेतना .पञ्च तत्वा से निर्मित शरीर को चालित करना वाला कोई और नहीं परमचेतना हैं .यह परम चेतना जो हर शरीर को चालित करता हैं . पञ्च तत्वा से बना शरीर कई चीजों से प्रभावित होता हैं .परन्तु चेतना किसे से भी प्रभावित नहीं होती .वह अपने परम शुद्ध रूप में सदा ही स्थित रहती हैं .
मन में जब किसी भी भाव का आगमन होता हैं तो वह हमारे चित को प्रभावित करता हैं .हमारे बुद्धि को प्रभावित करता हैं ,हमारे अहम् को प्रभावित करता हैं .फिर हमारा पूरा शरीर ही उसके पकड़ में आ जाता हैं .अहंकार+.मन+ बुद्धि एक दुसरे से सम्बंधित हैं .भाव का मन में प्रवेश होते ही बुद्धि उसकी जाच करने लगती हैं की वह उसकी संचित अवधारणा से मेल खाती हैं या नहीं .अगर मेल खाती हैं तो हमारे अहम् को संतुष्टि मिलती हैं और मन प्रसन होता हैं .अगर वह भाव बुद्धि की संचित ज्ञान या अवधारणा से मेल नहीं खाती तो हमें दुःख होता हैं .शरीर में तनाव उत्पन्न होता हैं .
मान लीजिये की आप अपने मित्र के लिए एक खुबसूरत सा तोफा ले कार जाते हैं .अब मन में पहले से ही अवधारणा बनी हुई हैं की आपका मित्र तोफे को देख कर प्रसन्न होगा .आपको धन्यवाद देगा .तोफे की प्रशंसा करेगा .परन्तु ऐसा कुछ नहीं होता .आपका मित्र तोफा लेकर उसे एक कोने में रख देता हैं .अब आप अपने मन का खेल देखो .तुरंत ही बुद्धि उसे सूचित करेगी की यह उसने सही नहीं किया हैं .उसे तो तारीफ करनी थी .मित्र को तो मुझे धन्यवाद देना था .यह तरीका सही नहीं . अब आपका अहम् उस से जुड़ जायेगा और आपके अहम् को तुरंत ही चोट पहुचेगी .अहम् को चोट पहुची क्युकी मन की पूर्व अवधारणा से मित्र का व्यवहार मेल नहीं खा रहा .अगर मित्र का व्यवहार मन की अवधारणा से मेल खाता .वह आपकी खूब प्रशंसा करता तो मन में ख़ुशी के भाव प्रकट होते . इसी तरह मन हर भाव के साथ सुख और दुःख के झूले में झूलता हैं . एक ही भाव से सुख का भी अनुभव होता हैं और दुःख का भी .
दुःख का झुला,सुख का झुला - प्रमिला का पति काम के सिलसिले में परदेश जा रहा था .दोनों की नयी नयी शादी हुई थी .प्रमिला ने पति से वादा लिया की वह उसे हर दिन सुबह शाम फोन करेगा .विदेश जा कर उसका पति उसे रोज़ सुबह शाम फोन करता . धीरे धीरे पति व्यस्त होता गया .फोन न करने की अवधि बढती गयी .अब दिन में केवल एक बार ही प्रमिला को उसका फोन आता . .प्रमिला के मन को चोट पहुची की पति ने तो वादा किया था की सुबह शाम बात करेगा .लेकिन अब तो दिन में केवल एक ही बार फोन कर रहा हैं .प्रमिला दुखी रहने लगी .फिर फोन २ या ३ दिनों में एक बार आने लगा ..बार बार उसे बुद्धि समझाने लगी की तेरा पति तुझसे अब प्यार नहीं करता .इस लिए ही तुझे फोन नहीं करता . दुःख बढता गया .फिर भाव आने लगे जरुर कोई दूसरी स्त्री पर मर मिटा होगा .कही उसने उस से शादी कर ली तो .प्रमिला दुःख के झूले पर झूलने लगी थी .कही वह मुझे छोड़ तो नहीं देगा . मैंने तो उस से इतना प्यार किया पर वह मुझ से धोखा कर रहा हैं . दुःख का झुला तेज़ होता जा रहा था .मेरा क्या होगा ? अगर वह कभी वापिस नहीं आया तो ? झुला दिन प्रतिदिन तेज़ होता गया .दुःख बढ़ता गया . एक दिन अचानक दरवाज़े पर घंटी बजी प्रमिला ने दरवाज़ा खोला तो सामने एक व्यक्ति लिफाफा लिए खड़ा था .उस व्यक्ति ने कहा मैडम आपका २० लाख का लाटरी निकला हैं .सहसा प्रमिला के चेहरे पर ख़ुशी छलकने लगी .वह दुःख के झूले से उतर सुख के झूले पर बैठ गयी थी. कुछ ही दिन में नयी गाड़ी ले ली .ख़ुशी और बढ़ गयी .पड़ोसियों को जलता देख ख़ुशी बढ़ने लगी .नए गहने लिए ,कपडे ख़रीदे ख़ुशी का झुला और तेज़ हुआ . एक रात चोर आया और सारे गहने,सामान और गाड़ी चुरा ले गया .अब प्रमिला फिर से दुःख के झूले पर थी .
मन की यही गति हैं .कभी दुःख कभी सुख के झूले से वह उतरता ही नहीं ....
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