Tuesday, March 4, 2014

HOW TO ATTAIN BUDDHAHOOD

DON'T HARBOUR THE ATTITUDE THAT I CANNOT REACH THE STATE OF ENLIGHTENMENT OR IT DOESN'T MATTER IF I REACH ENLIGHTENMENT .THESE FEELINGS OF DISBELIEF COME WHEN ONE THINKS THAT ENLIGHTENMENT OR BUDDHAHOOD IS FAR IN SOME OTHER PLACE . WHEN ONE FEELS THAT I AM NOT CAPABLE OF REACHING IT .EACH SOUL ,EACH ONE IS CAPABLE OF ATTAINING THE STATE OF BUDDHAHOOD .
IF YOU REALLY WANT TO ATTAIN ENLIGHTENMENT 
1) HAVE DEEP FAITH IN GURU 
2) DEVELOP DEEP DEVOTION 
3) DISCIPLINE YOURSELF .AND PUT SINCERE INTEREST IN ACHIEVING IT . 
4)TRY TO SEE THE SOURCE OF EVERYTHING .
5) TRY TO KEEP YOUR MIND IN POSITIVE STATE ,DESIRE AND LUST FREE
6) BE ASSOCIATED WITH SPIRITUAL GURUS AND GUIDES ,LISTEN TO THEIR SUTRAS , CONTEMPLATE AND PRACTICE THEM .
7 ) SAVE YOUR ENERGY IN GETTING SCATTERED IN MANY DIFFERENT WAYS OF WORLDLY NEEDS .
8) CENTER YOUR ENERGY AND WITH ONE POINTEDNESS MOVE TOWARDS SELF SEARCH .
BLESSINGS .............................................................................

Saturday, March 1, 2014

वैकुण्ठ धाम



ज़िन्दगी की धारा में पाँव डाले बैठी हुँ।और उसे बहते देेख रही हु। मै यहाँ क्यों हु ? मैं क्या कर रही हु इस धरती पर प्रभु ?मै तो यहाँ की हु भी नहीं फिर भी यहाँ होते हुए दिख रही हु। क्या मैं जीवित हु या मृत हुँ ? मैं तो न मर सकती हु न जी सकती हु। यह दोनों भाव मेरे लिए तो अब कोई भाव नहीं रखते।कुछ बेचैनी सी हैं मेरा अब यहाँ (धरती पर )मन नहीं लगता .


हर आत्मा परमात्मा से मिलने को व्याकुल हैं। उस परमधाम को अव्यक्त तथा अविनाशी कहा जाता हैं और वही परम तीर्थ परम गन्तव्य हैं। जब कोई वह जाता तो कभी वापिस नहीं लौटता। उस परम लोक के रास्ते में वैकुण्ठ धाम पड़ता हैं। यह लोक श्रीहरि विष्णु का निवास स्थल हैं। श्री हरी विष्णु कि कृपा के बिना कोई भी आत्मा केवल अपने प्रयास से अपने पूर्ण ब्रह्म स्वरुप को नहीं देख सकती। श्रीहरि विष्णु देवाये नमः। समस्त ब्रह्महान्डiये नमः। ……………

भय --- सम्भोग

अज्ञानता ,संभोग ,भय तीनो में नशा हैं। लोग अज्ञानता में रहना ज्यादा पसंद करते हैं क्युकी अज्ञानता में मूर्छा हैं और मूर्छा में नशा हैं। पूरी दुनिया इस तरह के नशे में रहना पसंद करती हैं। इस नशे में ही उन्हें सुख मिलता हैं। शराबी को देखा हैं? शराब के नशे में वह मस्त रहता हैं। उसके लिए वही सच्ची दुनिया हैं ,वह उस मद से बाहर आकर दुनिया के यथार्थ का सामना नहीं करना चाहता। उसी तरह अज्ञानता की गहरी मूर्छा को तोड़ कर सत्य को रुबरु देखने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए। यह ऐसा ही होगा जैसे गहरे रंग से रंगे शीशे को खुरच कर उस में से धुप को भीतर आने का जगह बनाया जाए। नशे की आदत को छोड़ना कठिन होता हैं और नशेड़ियो की जमात से निकल कर अकेले खड़े होना उस से भी ज्यादा कठिन। मेरी आत्मा रोती हैं जब मैं जीवंत आत्मा को शरीर के मोह में ,शरीर के मद में डूब कर इस तरह मूर्छित जीते हुए देखती हु। आत्मा प्रकाश हैं। तुम प्रकाश पुंज हो। तुम्हारा काम अँधेरे का नाश करना हैं। अँधेरे में आकर खुद का ही अस्तित्व खो देना नहीं हैं। भीतर के सूर्य की ओज को बढ़ाओ और अज्ञानता रूपी अंधकार से जागो। हरिओमतत्सत _()_

BHAV SAMADHI

what is bhav samadhi ? while praying or talking to GOD when one looses its senses of I and becomes one with the energy of GOD ,it is bhav samadhi .Meera bai ,Ramkrishna paramhans ,Chaitanya maha prabhu and many other who dissolved and are dissolving in supreme bliss through bhakti marg experience bhav samadhi .when this bhav samadhi gets deeper and deeper it becomes nirvikalp samadhi .when one thinks about GOD ,prays to god or talk to GOD with deep surrendering and concentration .... one enters in bhav samadhi .A bhakta can be in bhav samadhi for several hours and days . The state of samadhi is attained when one is truly dedicated to SELF SEARCH and puts all its soul energy into it .when the emotions of the mind are channelled into one-pointed concentration towards GOD ,one slowly looses the sense of I .The energy of the bhakta and bhagwan becomes one. Samadhi" is a state of consciousness in which the mind becomes completely still (one-pointed or concentrated) and the consciousness of the experiencing subject becomes one with the experienced object.Through bhav samadhi one slowly enters in nirvikalp samadhi .From where there is no returning back .The soul gets free of the circle of life and death . Through deep surrendering the bhakta opens the doors of the city of GOD and enters in it .