ध्यान क्या है? - Dhyan Kya Hai?
जिन-सूत्र – Jin Sutra, Vol.3
महावीर
ने तो कहा कि मूल धर्म है--ध्यान। जिसने ध्यान साध लिया, सब साध लिया। तो
हम समझें, यह ध्यान क्या है? पहली बात, अंतर्यात्रा है। दृष्टि को भीतर ले
जाना है। बाहर भागती ऊर्जा को घर बुलाना है। जैसे सांझ पक्षी लौट आता है,
नीड़ पर, ऐसे अपने नीड़ में वापस, वापस आ जाने का प्रयोग है ध्यान। जब सुविधा
मिले, तब समेट लेना अपनी सारी ऊर्जा को संसार से--घड़ी भर को सही--सुबह,
रात, जब सुविधा मिल जाए तब बंद कर लेना अपने को। थोड़ी देर को भूल जाना
संसार को। समझ ना कि नहीं है। समझना कि स्वप्नवत है। अपने को अलग कर लेना।
अपने को ता़ेड़ लेना बाहर से। और अपने भीतर देखने की चेष्टा करना--कौन हूं
मैं? मैं कौन हूं? ओशो
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