मनुष्य के ललाट से मस्तिक के उपरी हिस्से तक ब्रह्म आकाश होता हैं .इस ब्रह्म आकाश के शिव केंद्र यानि अजना केंद्र पर सूर्य चमकता हैं . यह सूर्य हमारे नाभि केंद्र पर होता हैं .गहरे ध्यान करने से यह सूर्य उठते हुए शिव केंद्र पर चमकने लगता हैं . शिव केंद्र पर लगातार ध्यान करने से धीरे धीरे यह उर्जा सहस्रार चक्र पर उठने लगती हैं . सहस्रार चक्र पर यह एक सूर्य के सामान घुमने लगती हैं .वैसे ही जैसे सूर्य आकाश में घूमता हुआ दिखाई देता हैं . ऋषि मुनियों ,सद्गुरुयो और परम पिता के आशीर्वाद से और गहरी समर्पण से ,ध्यान से इस सूर्य का प्रकाश पूरे ब्रहांड में फैल जाता हैं . यानि पूरा मस्तिक केंद्र ..ब्रहाकाश इस परम सूर्य की रौशनी से प्रज्वलित हो उठता हैं .
सद गुरु तुमको प्रणाम
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