Wednesday, July 4, 2012

विश्राम

अंतस  की तल  में पहुच कर  आप विस्तार में लीन हो जाते हैं . मन शांत हो जाता हैं और निर्विकारिता उसकी पृष्ठ भूमि रहती हैं .......
जीवन के तल  पर होने  वाली कोई भी घटना  का  प्रभाव नहीं पड़ता ...
जीवन की धुरी पर काल  चक्र का प्रभाव बहुत  रहता हैं ...
एक ही इंसान हमें अपने जीवन चक्र में कई रूपों में दिखता हैं ...कभी   सज्जन ,कभी दुर्जन ,कभी दयालु और कभी दुष्ट ....एक ही जीवन में कई किरदार निभाता हैं ...
कभी उसे प्रेम और तारीफ के माले से सम्मानित किया जाता हैं तो कभी निंदा के गुलदस्तो  से भर दिया जाता ...जीवन कई रूप  दिखाती हैं ..किरदार की भी और अपनी भी .....
पर जो निर्विकार पृष्ठ भूमि हैं उस पर किसी भी घटना का कोई असर नहीं होता ......
जिन्होंने उस निर्विकार के सागर में छलांग   लगा दी हैं ....उन्होंने इस सत्य को समझ  लिया हैं   वे अब पूरण विश्राम .में हैं ........

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