Saturday, January 11, 2014

Photo: बुद्ध ने संघं शरणं गच्छामि क्यों कहा? कृपाकर हमें इसका अभिप्राय समझाएं।ये हैं तीन रत्न—

बुद्धं शरणं गच्छामि,

संघं शरणं गच्छामि,

धम्मं शरणं गच्छामि।
 इनके पीछे एक तर्कसरणी है। समझो।
पहले तो बुद्ध के प्रति। बुद्ध का अर्थ गौतम बुद्ध नहीं है। इस भ्रांति में मत पड़ना। बुद्ध का अथई है, बुद्धत्व। 
दूसरी समर्पण की धारणा है—संघं शरणं गच्छामि। संघं का अर्थ होता है, उन सबको जो जागे हैं। उन सबको जो जाग रहे हैं। उन सबको जो जागने के करीब आ रहे। उन सबको जो करवट ले रहे. इसका मूल अर्थ तो यही हुआ न कि जिन्होंने स्रोत में प्रवेश कर लिया, जो स्रोतापन्न फल को प्राप्त हो गए। जिन्होंने संन्यास लिया है.
।संघं शरणं गच्छाम

और भी एक कदम आगे बात उठती है, क्योंकि संघ की शरण जाने का अर्थ हुआ, जो सत्य की खोज कर रहे हैं उनकी शरण जाता हूं। बुद्ध की शरण जाने का अर्थ हुआ, जिसने सत्य पा लिया है उसकी शरण जाता हूं। 
 धम्मं शरणं गच्छामि का अर्थ होता है, बुद्ध की शरण भी तो इसीलिए गए न कि उन्होंने सत्य को पा लिया, और संघ की शरण भी इसीलिए गए न कि वे सत्य की खोज में जा रहे हैं, तो सत्य की ही शरण जा रहे हो, चाहे बुद्ध की शरण जाओ, चाहे संघ की शरण जाओ। इसलिए, धम्मं शरणं गच्छामि।
धम्म का अर्थ होता है सत्य। जो परम सत्य है, वही धर्म है।तो तीसरा रत्न है—धम्मं शरणं गच्छामि। तीसरी शरण में जाकर तुम समस्त की शरण में चले गए—सार्वभौम है धर्म। पहले बुद्ध की शरण में गए, वह एक; फिर संघ की शरण में गए, अनेक, फिर धर्म की शरण में गए, सर्व। सार्वभौम। विसर्जन पूरा हो गया। इसके पार विसर्जन करने को कुछ है नहीं। तुम उससे एक हो गए, जो है।तो तीसरा रत्न है—धम्मं शरणं गच्छामि। तीसरी शरण में जाकर तुम समस्त की शरण में चले गए—सार्वभौम है धर्म। पहले बुद्ध की शरण में गए, वह एक; फिर संघ की शरण में गए, अनेक, फिर धर्म की शरण में गए, सर्व। सार्वभौम। विसर्जन पूरा हो गया। इसके पार विसर्जन करने को कुछ है नहीं। तुम उससे एक हो गए, जो है।
बुद्ध ने संघं शरणं गच्छामि क्यों कहा? कृपाकर हमें इसका अभिप्राय समझाएं।
ये हैं तीन रत्न—

बुद्धं शरणं गच्छामि,

संघं शरणं गच्छामि,

धम्मं शरणं गच्छामि।

पहले तो बुद्ध के प्रति। बुद्ध का अर्थ गौतम बुद्ध नहीं है। इस भ्रांति में मत पड़ना। बुद्ध का अथई है, बुद्धत्व। 
दूसरी समर्पण की धारणा है—संघं शरणं गच्छामि। संघं का अर्थ होता है, उन सबको जो जागे हैं। उन सबको जो जाग रहे हैं। उन सबको जो जागने के करीब आ रहे। उन सबको जो करवट ले रहे. इसका मूल अर्थ तो यही हुआ न कि जिन्होंने स्रोत में प्रवेश कर लिया, जो स्रोतापन्न फल को प्राप्त हो गए। जिन्होंने संन्यास लिया है.
    

  संघं शरणं गच्छामि  


 संघ की शरण जाने का अर्थ हुआ, जो सत्य की खोज कर रहे हैं उनकी शरण जाता हूं। बुद्ध की शरण जाने का अर्थ हुआ, जिसने सत्य पा लिया है उसकी शरण जाता हूं। 

धम्मं शरणं गच्छामि का अर्थ होता है, बुद्ध की शरण भी तो इसीलिए गए न कि उन्होंने सत्य को पा लिया, और संघ की शरण भी इसीलिए गए न कि वे सत्य की खोज में जा रहे हैं, तो सत्य की ही शरण जा रहे हो, चाहे बुद्ध की शरण जाओ, चाहे संघ की शरण जाओ। इसलिए, धम्मं शरणं गच्छामि।
धम्म का अर्थ होता है सत्य। जो परम सत्य है, वही धर्म है।
तो तीसरा रत्न है—धम्मं शरणं गच्छामि। तीसरी शरण में जाकर तुम समस्त की शरण में चले गए—सार्वभौम है धर्म। पहले बुद्ध की शरण में गए, वह एक; फिर संघ की शरण में गए, अनेक, फिर धर्म की शरण में गए, सर्व। सार्वभौम। विसर्जन पूरा हो गया। इसके पार विसर्जन करने को कुछ है नहीं। तुम उससे एक हो गए, जो है।तो तीसरा रत्न है—धम्मं शरणं गच्छामि। तीसरी शरण में जाकर तुम समस्त की शरण में चले गए—सार्वभौम है धर्म। पहले बुद्ध की शरण में गए, वह एक; फिर संघ की शरण में गए, अनेक, फिर धर्म की शरण में गए, सर्व। सार्वभौम। विसर्जन पूरा हो गया। इसके पार विसर्जन करने को कुछ है नहीं। तुम उससे एक हो गए, जो है .

No comments: